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श्री सूर्य देव – ऊँ जय सूर्य भगवान

Surya Dev Aarti ॥ Om Jai Surya Bhagwan…॥
Pooja Samagri: Essential Items and Rituals for a Divine Celebration
Pooja Samagri: Essential Items

श्री सूर्य देव भगवान/आरती:

सूर्य देव ( Surya Dev) को ही संपूर्ण जगत की आत्मा तथा ब्रह्म के रूप में दर्शाया गया है. ज्योतिष शास्त्र में भी सूर्य का बहुत महत्व बताया गया है. चन्द्र, मंगल और गुरु ग्रह सूर्य देव के मित्र माने गए हैं|

हिंदू धर्म में रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित माना जाता है. सूर्य देव बहुत कल्याणकारी हैं. सूर्य देव की पूजा और व्रत करने से प्राण ऊर्जा बढ़ती है, कष्ट दूर होते हैं और जीवन में खुशहाली आती है. आर्य वैदिक काल में सूर्य को ही सारे विश्व का कर्ता धर्ता मानते थे. हिंदू धर्म में प्राचीन काल से सूर्य की उपासना और उपवास की परंपरा चली आ रही है. धर्म शास्त्रों में सूर्य को ही संपूर्ण जगत की आत्मा तथा ब्रह्म के रूप में दर्शाया गया है.

ऊँ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान ।

जगत् के नेत्र स्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा ।

धरत सब ही तव ध्यान, ऊँ जय सूर्य भगवान ॥

॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥

सारथी अरूण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी, तुम चार भुजाधारी ॥

अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटी किरण पसारे, तुम हो देव महान ॥

॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥

ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते ।

सब तब दर्शन पाते, फैलाते उजियारा,

जागता तब जग सारा, करे सब तब गुणगान ॥

॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥

संध्या में भुवनेश्वर, अस्ताचल जाते ।

गोधन तब घर आते, गोधुली बेला में,

हर घर हर आंगन में, हो तव महिमा गान ॥

॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥

देव दनुज नर नारी, ऋषि मुनिवर भजते । आदित्य हृदय जपते ॥

स्त्रोत ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी, दे नव जीवनदान ॥

॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥

तुम हो त्रिकाल रचियता, तुम जग के आधार । महिमा तब अपरम्पार ॥

प्राणों का सिंचन करके, भक्तों को अपने देते । बल बृद्धि और ज्ञान ॥

॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥

भूचर जल चर खेचर, सब के हो प्राण तुम्हीं । सब जीवों के प्राण तुम्हीं ॥

वेद पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने । तुम ही सर्व शक्तिमान ॥

॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥

पूजन करती दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल ।

तुम भुवनों के प्रतिपाल ॥ ऋतुएं तुम्हारी दासी,

तुम शाश्वत अविनाशी । शुभकारी अंशुमान ॥

॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥

ऊँ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान ।

जगत के नेत्र रूवरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा ॥

धरत सब ही तव ध्यान,

ऊँ जय सूर्य भगवान ॥

श्री सूर्य देव

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