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Diwali Aarti : Maa Lakshmi, Ganesha, Shree Rama Aarti

Diwali will be celebrated on November 4, 2021! Diwali is the festival of lights and is often associated with happiness, wealth, prosperity and warmth.

On this day, the goddess of wealth, Lakshmi, is worshiped with the god of wisdom and intellect, Ganesha. The worship of Lakshmi and Ganesha is believed to bring fortune and prosperity to the individual. On this day, Lord Ram returned to Ayodhya after a 14-year exile and defeated Lanka King Ravan.

We have compiled a list of Laxmi Aarti lyrics for you – in Hindi and English – which you can sing with others or on your own during Diwali. The best time to conduct the Diwali puja is after sunset because the time post-sunset is known as ‘pradosh’.

Diwali Aarti- ॐ जय लक्ष्मी माता

लक्ष्मी पूजा स्पेशल मंत्र

महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं सुरेश्वरि ।

हरि प्रिये नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं दयानिधे ॥

पद्मालये नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं च सर्वदे ।

सर्वभूत हितार्थाय, वसु सृष्टिं सदा कुरुं ॥

आरती माँ लक्ष्मीजी – ॐ जय लक्ष्मी माता

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।

तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥

उमा, रमा, ब्रम्हाणी, तुम ही जग माता ।

सूर्य चद्रंमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥

॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥

दुर्गा रुप निरंजनि, सुख-संपत्ति दाता ।

जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ॥

॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥

तुम ही पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता ।

कर्म-प्रभाव-प्रकाशनी, भव निधि की त्राता ॥

॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥

जिस घर तुम रहती हो, ताँहि में हैं सद्‍गुण आता ।

सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता ॥

॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥

तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता ।

खान पान का वैभव, सब तुमसे आता ॥

॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥

शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता ।

रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता ॥

॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥

महालक्ष्मी जी की आरती,  कोई नर गाता ।

उँर आंनद समाता, पाप उतर जाता ॥

॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।

तुमको निसदिन सेवत,हर विष्णु विधाता ॥

Resources: लक्ष्मी जी की आरती और उसका अर्थ

Diwali Aarti- Ganesh Ji Ki Aarti

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा, माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी, माथे सिन्दूर सोहे, मूसे की सवारी।

पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा, लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा।। ..

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा, माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया, बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।

‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।।

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा, माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी, कामना को पूर्ण करो जय बलिहारी।

Resources: श्री गणेशजी की आरती अर्थ के साथ

Diwali Aarti- Ram Ji ki aarti

श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्।
नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।।

कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्।
पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्।।

भजु दीन बंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्।
रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्।।

सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं।
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धूषणं।।

इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।
मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्।।

मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों।
करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो।।

एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली।
तुलसी भवानी पूजि पूनी पूनी मुदित मन मंदिर चली।।

जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे।।

श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्।
नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।।

Diwali Aarti – ॐ जय जगदीश हरे आरती

ओम जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे

भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट

क्षण में दूर करें, ओम जय जगदीश हरे

जो ध्यावे फल पावे, दुख बिन से मन का

स्वामी दुख बिन से मन का, सुख संपति घर आवे

स्वामी, सुख संपति घर आवे, कष्ट मिटे तन का

ओम जय जगदीश हरे

माता पिता तुम मेरे, शरण पाऊँ मैं किसकी

स्वामी शरण पाऊँ मैं किसकी, तुम बिन और ना दूजा

प्रभु बिन और ना दूजा, आस करूँ मैं जिसकी

ओम जय जगदीश हरे

तुम पूरण परमात्मा, तुम अंतर्यामी

स्वामी तुम अंतर्यामी, पर ब्रह्म परमेश्वर

स्वामी, पर ब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी

ओम जय जगदीश हरे

तुम करुणा के सागर, तुम पालन करता

स्वामी तुम पालन करता, मैं मूरख खल कामी

मैं सेवक तुम स्वामी, कृपा करो भरता

ओम जय जगदीश हरे

तुम हो एक अगोचर, सब के प्राण पति

स्वामी सब के प्राण पति, किस विधि मिलूं गोसाईं

किस विधि मिलूं दयालु, तुम को मैं कुमति

ओम जय जगदीश हरे

दीन बंधु दुख हरता, ठाकुर तुम मेरे

स्वामी ठाकुर तुम मेरे, अपने हाथ उठाओ

अपनी शरन लगाओ, द्वार पड़ा हूं तेरे

ओम जय जगदीश हरे

विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा

स्वामी पाप हरो देवा, श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ

स्वामी, श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, संतों की सेवा

ओम जय जगदीश हरे

ओम जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे

भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट

क्षण में दूर करें, ओम जय जगदीश हरे ||

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