अहोई माता
अहोई अष्टमी, या आमतौर पर ‘अहोई आठ’ कहा जाता है, एक हिंदू त्योहार है, जो करवा चौथ और दिवाली के बीच मनाया जाता है। करवा चौथ पर महिलाएं अपने पति की सलामती और सलामती के लिए व्रत रखती हैं, लेकिन अहोई अष्टमी में माताएं अपने बच्चों की सुरक्षा, समृद्धि और लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं। वास्तव में अहोई का तात्पर्य है कि अनहोनी को भी बदल डालना. एक माता अपने सात पुत्रों के प्राण बचा लाई थी, जिसके कारण अहोई मनाने की परंपरा चल पड़ी.
अहोई माता की आरती
जय अहोई माता, जय अहोई माता ।
तुमको निसदिन ध्यावतहर विष्णु विधाता ॥
॥ जय अहोई माता..॥
ब्रह्माणी, रुद्राणी, कमलातू ही है जगमाता ।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावतनारद ऋषि गाता ॥
॥ जय अहोई माता..॥
माता रूप निरंजनसुख-सम्पत्ति दाता ।
जो कोई तुमको ध्यावतनित मंगल पाता ॥
॥ जय अहोई माता..॥
तू ही पाताल बसंती, तू ही है शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव प्रकाशकजगनिधि से त्राता ॥
॥ जय अहोई माता..॥
जिस घर थारो वासावाहि में गुण आता ।
कर न सके सोई कर लेमन नहीं धड़काता ॥
॥ जय अहोई माता..॥
तुम बिन सुख न होवेन कोई पुत्र पाता ।
खान-पान का वैभवतुम बिन नहीं आता ॥
॥ जय अहोई माता..॥
शुभ गुण सुंदर युक्ताक्षीर निधि जाता ।
रतन चतुर्दश तोकूकोई नहीं पाता ॥
॥ जय अहोई माता..॥
श्री अहोई माँ की आरतीजो कोई गाता ।
उर उमंग अति उपजेपाप उतर जाता ॥
जय अहोई माता, जय अहोई माता ।
अहोई माता की आरती अंग्रेजी में
Jai Ahoi Mata, Jai Ahoi Mata ।
Tumko Nisdin DhyavatHari Vishnu Vidhata ॥
॥ Jai Ahoi Mata..॥
Jai Ahoi Mata, Jai Ahoi Mata ।